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विवाह क्यों होता है: एक महत्वपूर्ण सामाजिक प्रतिष्ठा

विवाह, एक नए जीवन की शुरुआत का संकेत है, जो हर किसी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। हम इस महत्वपूर्ण समय के बारे में और उसके पीछे के कारणों के बारे में बात करेंगे जो विवाह को एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण सोचने के रूप में बनाते हैं। विवाह का मतलब विवाह, एक पुराना […]

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सजदा सहव

कुछ नुक्सान ऐसे है की उन्हें दूर करने के लिए नमाज़ के आखरी कायदे में दो सजदे किये जाते है उन्हें सजदा सहव कहते है सजदा सहव करने का तरीका :- आखरी काअदे में तश्शहुद पढने के बाद एक तरफ सलाम फेर कर तकबीर कहे और सजदा करे. सजदे में तीन बार तस्बीह पढ़े फिर

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ग़ुस्ल के तीन फर्ज है | ghusl ke 3 farz

ghusl k farz in Hindi १ : तीन बार कुल्ली करना , रोजा ना हो तो गरारा करना. २ : नाक की नरम हड्डी तक पानी पहुँचाना. ३ : पुरे बदन पर इस कदर पानी बहाना ,की एक बाल बराबर भी सूखा ना रह जाये. ye 3 ghusl ke farz hai in hindi ghusl ke

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वुजू टूटने वाले ८ चीज़े vuzu tootne wali 8 cheezain

वुजू आठ चीजों से टूट जाता है १. मजनू या दीवाना हो जाना २ .बेहोश हो जाना ३.  मुँह भरकर उलटी हो जाना ४ . नमाज़ की हालत में खिलखिला कर हसना ५ . खून / पिप का बदन से निकल कर बह जाना ६ . टेक या सहारा लगाकर सो जाना ७ . पखाना

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वुजू के चार फर्ज है vuzu ke farz فراٸض ہیں wazu me farz

१ . पेशानी से लेकर ठोड़ी के निचे तक एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक पुरे चेहरे का धोना. २ . दोनों हाथो को कोहनी समेत धोना. ३ . चौथाई सर का मसह करना. ४ . दोनों पैरो को टखनों समेत धोना. वुजू करने का तरीका فراٸض ہیں wazu me farz

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तयम्मुम के कुछ फ़र्ज़ बातें Taimumm ke farz

१. तयम्मुम करने के लिए अपने दिल में नियत करें २. अपने चेहरे का अच्छे से मसह करें धुल पाक मिटटी या मिटटी की दिवार पर हाथ     मार कर. ३. इसी तरह हाथ मारकर अपने दोनों हाथो का कोनियो के ऊपर तक मसह करना.                 तयम्मुम की सुन्नतें 1.सबसे पहले बिस्मिल्लाहिर्रहमांनिर्रहीम 2. अपने दाएं हांथों

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नमाज़ के १४ फ़र्ज़ Namaz ke Farz

नमाज़ के बाहर के ७ फ़र्ज़ १ : बदन का पाक होना              ४ : सतर का छुपाना           ७ : नियत करना २ : कपडे का पाक होना             ५ : वक़्त का पहचानना ३ : जगह का पाक होना             ६ : क़िब्ले की तरफ रुख करना नमाज के अन्दर के फर्ज १ : तक्बीरे

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नमाज़ के १४ वाजिबात. namaz ke wajibaat

(1) फ़र्ज़ नमाज़ की पहली दो रकात को किरात के लिए मुक़र्रर करना। (2) फ़र्ज़ नमाजो की पहली २ रकात में और बाकि नमाजो की हर नमाज़ में सुरह फातिहा पढना. (3) फ़र्ज़ नमाज़ों की पहली दो रकात में और वाजिब सुन्नत और नफ़िल नमाज़ों की तमाम रकात मेंसुरह फ़ातिहा के बाद कोई और सुरह पढ़ना या बड़ी

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